रजत रानी मीनू की कहानी
रजत रानी ‘मीनू’ की कहानियाँ और जातिवाद का बदला स्वरुप -- डॉ. संजय रणखांबे हिंदी दलित कहानी का प्रारंभ आठवें दशक में हुआ । इन कहानियों के माध्यम से दलित कहानीकारों ने सवर्ण समाज द्वारा दलितों पर होनेवाले अन्याय , अत्याचार , शोषण , जातिभेद, वर्णभेद तथा अपमानित व्यवहार का पर्दाफाश किया है । दलित कहानी के सन्दर्भ में तथा उसकी ओर देखने के मनुवादी रवैये को अभिव्यक्त करते हुए रमणिका गुप्ता लिखती है– “अविश्वसनीय पर सच ! यही है दलित कहानी । अविश्वसनीय पीड़ा , जुल्म, अत्याचार और अविश्वसनीय सहनशीलता , संवेदनशील मनुष्य के रोंगटे खड़े कर देनेवाली और विद्रोह के लिए प्रेरक सच । काश, यह उस संवेदनहीन सवर्ण मानसिकता को शर्मसार कर पाता । मनुष्य तो शर्मसार हुए पर मनुवादी नाम के पशु रस ले लेकर हँसते रहे । फिर कहानियों ने- दलित कहानी ने सामाजिक आयाम के हर कोण को पकड़ा । ” 1 ओमप्रकाश वाल्...