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सावित्रीबाई फुले की कविता
स्त्री-शूद्रातिशूद्र की मुक्ति और सावित्रीबाई फुले की कविता डॉ. संजय रणखांबे हिंदी विभाग डॉ.अण्णासाहेब जी. डी. बेंडाळे महिला महाविद्यालय, जलगाँव सावित्रीबाई फुले की कविताएँ उनके ‘काव्यफुले’ (1854) और ‘बावन्नकशी सुबोध रत्नाकर’ (1891) इन दो संकलनों में संकलित हैं| उनकी सभी कविताएँ स्त्री-शूद्रातिशूद्र को सदियों की गुलामी य...
बारिश ही बारिश ।।।
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